Surya Grahan 2024: प्रत्येक वर्ष देश में कई सारी खगोलीय घटनाएं घटती हैं। इन खगोलीय घटनाओं में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं ग्रहण। ग्रहण दो प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण । प्रत्येक वर्ष करीबन 2 से 3 बार सूर्य ग्रहण होते हैं और 2 से 3 बार चंद्र ग्रहण । हालांकि हर ग्रहण भारत में देखा जाएगा इसकी कोई निश्चितता नहीं होती, परंतु Surya Grahan 2024 की मान्यता ज्योतिष शास्त्र में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है । ऐसे में वर्ष 2024 के अंतर्गत अब जल्द ही वर्ष का अंतिम और दूसरा सूर्य ग्रहण लगने वाला है। आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी उपलब्ध करने वाले हैं। हम आज आपको अपने इस लेख में बताएंगे सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने वाले इस सूर्य ग्रहण की मान्यता एवं इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव ।
जैसा कि हमने आपको बताया प्रत्येक वर्ष सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की घटन के जैसी खगोलीय घटनाएं घटती है । यह खगोलीय घटनाएं अमावस्या और पूर्णिमा के दिन पर घटती हैं। आमतौर पर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन घटित होता है वहीं चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन घटित होता है । वर्ष 2024 की अंतर्गत आने वाली अमावस्या अर्थात कल 2 अक्टूबर 2024 के दिन सूर्य ग्रहण घटने वाला है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने वाला यह सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर यह सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण के 15 दिन के बाद घटित होता है और वर्ष 2024 में बुधवार 2 अक्टूबर 2024 के दिन घटने वाला है।
Surya Grahan 2024: सर्वपितृ आमवस्या और सूर्यग्रहण का संयोग
इस वर्ष का यह अंतिम सूर्य ग्रहण होगा जो पितृपक्ष अमावस्या के दिन पर घटेगा। पितृपक्ष अमावस्या हमारे सनातन धर्म में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। पितरों के तर्पण के लिए इस अमावस्या के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है। वहीं इस दिन पितरों की मुक्ति के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण अमावस्या के दिन इस ग्रहण का घटित होना अपने आप में काफी विशिष्ट माना जा रहा है। पितृपक्ष अमावस्या के दिन ग्रहण का संजोग बैठना ज्योतिषियों के अनुसार काफी विशिष्ट परिणाम प्रदान करने वाला है।
जैसा कि हमने आपको बताया कल अर्थात 2 अक्टूबर को इस वर्ष का अंतिम ग्रहण पड़ने वाला है इस दिन दान पुण्य का काफी महत्व माना जाता है । वही ग्रहण होने की वजह से इस दिन आपको समय का ध्यान रखते हुए पूजा अर्चना करनी होगी । हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देने वाला है इसीलिए ज्योतिषों का कहना है कि ग्रहण का सूतक काल भी नहीं माना जाएगा। ऐसे में आप इस तिथि पर अपनी पूर्वजों का श्राद्ध तथा अन्य पूजन और अनुष्ठान कर सकते हैं। हालांकि तर्पण के दौरान जातकों को विशेष बातों का ध्यान रखना होगा जिससे पूर्वजों का आशीर्वाद आप सभी को प्राप्त हो।
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क्या है सूर्य ग्रहण की तिथि?
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें यह सूर्य ग्रहण बाहर भारत में दिखाई नहीं देगा। हालांकि भारतीय मानक समय के अनुसार सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024 को रात 9:13 से शुरू होने की उम्मीद है और यह सुबह 3:17 पर समाप्त होगा। यह ग्रहण भारत में रात के समय होगा इसलिए यह देश के किसी भी हिस्से में दिखाई नहीं देगा और ना ही इसके सूतक काल को मान्य माना जाएगा।
विश्व के किन-किन हिस्सों में सूर्य ग्रहण दिखाई देगा ?
पाठकों की जानकारी के लिए बता दे 2 अक्टूबर 2024 को लगने वाला सूर्य ग्रहण रात के समय लगने वाला है । ऐसे में भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा परंतु दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों चिल्ली ,अर्जेंटीना में यह वलयाकार सूर्य ग्रहण लोगों को दिखाई देगा। इसके अलावा प्रशांत महासागर, आर्कटिक, पेरू,फिजी में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण ?
वलयाकार सूर्य ग्रहण सूर्य ग्रहण का ही एक प्रकार होता है जिसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक देता है। वलयाकार सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से इतना दूर होता है कि वह सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पता बल्कि वह सूर्य के केंद्रीय भाग को ढकता है जिससे सूर्य के बाकी किनारे चमकदार बन जाते हैं। अर्थात बीच में चंद्रमा की वजह से कालिमा छा जाती है और बाकी पूरे घेरे में अग्नि वलय की तरह सूर्य चमकता है इसलिए इस ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण का नाम दिया जाता है।
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सर्वपितृ अमावस्या के दिन ग्रहण होने से तर्पण के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
जैसा कि हमने आपको बताया इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण की तिथि भी साथ में लग रही है । परंतु भारत में ग्रहण न होने की वजह से इसके प्रभाव को मान्य नहीं माना जाएगा। हालांकि तर्पण के दौरान इन बातों का ध्यान आप सभी को विशेष रूप से रखना होगा
- तर्पण के दौरान आप सभी को पवित्रता का खास ध्यान रखना होगा ।
- आपको कोशिश करनी होगी कि आप इस दिन तामसिक भोजन से दूर रहे ।
- वहीं तर्पण आपको दक्षिण दिशा की ओर मुख कर करना होगा।
- इस तर्पण में उंगली का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि अंगूठे से जल समर्पित किया जाता है ऐसे में तर्पण करते समय अंगूठे में कुशा अवश्य धारण करें ।
- वही तर्पण करते समय गंगाजल ,दूध ,काले तिल से अपने पितरों का पूजन करें।
निष्कर्ष
प्रकार सर्वपितृ अमावस्या के साथ लगने वाले इस ग्रहण के संजोग का आप विशेष फायदा उठा सकते हैं और इस तिथि को अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए बेहतर तिथि बना सकते हैं । आशा करते हैं हमारा यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा तथा इस लेख के माध्यम से आप वलयाकार सूर्य ग्रहण तथा तथा सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण करने से पहले सभी प्रश्नों का निदान प्राप्त कर चुके होंगे।