PTM Tips: पेरेंट्स PTM में क्या पूछे? जरूर पूछे ये 6 सवाल

PTM Tips: लगातार 2 से 3 महीने की छुट्टी के बाद में अचानक से फिर से स्कूल खुलने के ख्याल से ही बच्चे परेशान होने लगते हैं। ऐसे में घर और स्कूल की कोचिंग में भी फर्क होने लगता है और बच्चों पर दबाव बढ़ जाता है। ऐसे में घर पर सारा दिन धूम धड़ाका करने वाले बच्चे एकदम से स्कूल में शांत हो जाते हैं। वह बच्चे जो घर पर सारा दिन अपने परिवारजनों से बातें करते हैं वह स्कूल में जाकर एकदम चुप हो जाते हैं ।इस पूरे परिवर्तन के चलते बच्चों के मन पर बहुत ज्यादा विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। ऐसे में कई बच्चे विभिन्न प्रकार के मानसिक तनाव से गुजरते हैं । इन सभी का निदान करना अभिभावक और शिक्षकों के लिए जरूरी है।

ज्यादातर अभिभावक parent teacher meeting यानी PTM में जाते हैं। लेकिन वे शिक्षक से कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछना भूल जाते हैं। जबकि बच्चे की ओवरऑल रिपोर्ट जानने के लिए ये सवाल पूछना जरूरी हो जाता है. ताकि आप अपने बच्चे की खूबियों और कमजोरियों को पहचानकर उन पर काम कर सकें और बच्चे को एक बेहतर छात्र बनने में मदद कर सकें।

दरअसल PTM के दौरान ज्यादातर अभिभावक बच्चों की प्रगति रिपोर्ट पर शिक्षकों से चर्चा करते हैं। लेकिन वे कुछ ज़रूरी सवाल पूछना भूल जाते हैं. वहीं आपको बच्चों के व्यवहार, प्रतिभा और कमजोरियों के बारे में टीचर से जरूर बात करनी चाहिए। ताकि समय रहते आप बच्चों के कौशल को निखारने और उनकी कमजोरियों को सुधारने की कोशिश कर सकें। तो आइए जानते हैं इनके बारे में।

PTM Tips: करें बच्चों की परेशानी को हल

शिक्षक और अभिभावक दोनों ही मिलकर बच्चों को इस बुरी स्थिति से बाहर निकाल सकते हैं। ऐसे में जहां एक ओर शिक्षक बच्चों को स्कूल में संभालते हैं वही अभिभावक दिनभर बच्चों को घर पर संभालते हैं।  ऐसे में शिक्षक और अभिभावकों की यह जिम्मेदारी हो जाती है कि वह बच्चों को इस मानसिक अवसाद से दूर करें शिक्षक अपनी तरह से पूरी कोशिश करते हैं परंतु अभिभावक भी यदि यह समझ जाए कि सिर्फ शिक्षक ही नहीं अभिभावकों को भी घर पर कुछ इस तरह से माहौल बनाना जरूरी है कि जिससे बच्चे डिसिप्लिन में भी रहे और अभिभावकों से खुलकर भी बात कर सके । वहीं पढ़ाई के साथ-साथ में अन्य एक्टिविटीज पर भी ध्यान दे सके इसलिए अभिभावकों को भी अपनी तरफ से कुछ कोशिश करनी जरूरी है।

अपनी इन सभी कोशिशें के अंतर्गत अभिभावकों को जरूरी है कि वह शिक्षकों से वार्तालाप करें और स्कूल खुलने के बाद शिक्षकों के साथ मिलकर बच्चों की मानसिक अवस्था पर काम करें ताकि बच्चे मां-बाप के साथ-साथ शिक्षकों के भी साथ खुल सके । इस पूरी प्रक्रिया में अभिभावकों को शिक्षकों से स्कूल खुलने के दौरान कुछ सवाल जवाब करने होंगे जिससे शिक्षक अभिभावकों को मार्गदर्शित करते रहे कि उन्हें किस तरह से बच्चों को घर पर हैंडल करना है।

Uttarakhand Cooperative Bank Result 2024: इस तरह देखें परिणाम और चेक करें स्कोर कार्ड और मार्क्स – डायरेक्ट लिंक

Muskaan Scholarship 2024 Apply Online [INR 12,000], Check Deadline, Eligibility & Selection Process

अपनी तरफ से हर प्रयास करने के साथ-साथ अभिभावकों को स्कूल खुलने के बाद शिक्षकों से समय-समय पर मिलकर बच्चों की रिपोर्ट लेना आवश्यक है । वही साथ ही साथ अभिभावक को यह भी देखना चाहिए कि बच्चा इस पूरे माहौल में किस तरह से परफॉर्म कर रहा है ।  यदि बच्चे में किसी प्रकार का कोई बदलाव देखा जा रहा है तो अभिभावक को शिक्षक से मिलकर इस बारे में भी चर्चा करनी चाहिए इस पूरे क्रम में अभिभावक को कुछ सवाल निश्चित रूप से शिक्षक से पूछने चाहिए

सवाल जो अभिभावकों को शिक्षकों से पूछने चाहिए

अपने सवालों की लिस्ट में अभिभावक निम्नलिखित सवाल जोड़ सकते हैं जो अभिभावकों को शिक्षकों से पूछने चाहिए

आप कक्षा में क्या नया करवाते हैं ?

अभिभावक जब कभी स्कूल के टीचर से मिले तो अभिभावक के लिए जरूरी है कि वह टीचर से उनके द्वारा किए गए प्रयत्नों के बारे में पूछे।  जैसे कि हम सब जानते हैं यह जमाना  क्रिएटिविटी का जमाना है । वही बच्चे अलग-अलग एक्टिविटीज के माध्यम से सीखना ज्यादा पसंद करते हैं। जितनी ज्यादा क्रिएटिव एक्टिविटीज होगी उतना ज्यादा बच्चे स्किल डेवलप करते हैं।

ऐसे में अभिभावक के साथ-साथ यह टीचर की भी जिम्मेदारी हो जाती है कि वह क्लास में कुछ क्रिएटिव सीखाते रहे ताकि बच्चे अलग-अलग एक्टिविटीज के माध्यम से अपने स्किल को डेवलप करते रहे । ऐसे में अभिभावक की जिम्मेदारी हो जाती है कि वह समय-समय पर टीचर से इस बारे में सवाल करें और एक्टिविटीज और क्रिएटिविटी के माध्यम से सीखने पर जोर दे।

अब बच्चों के मूड को कैसे हैंडल करते हैं?

 अभिभावकों को समय-समय पर शिक्षकों से मिलकर यह पूछना चाहिए कि टीचर एक ही क्लास में एक साथ इतने सारे बच्चों को कैसे संभालते हैं और उन बच्चों की जिद तथा उनके बातों को कैसे पूरा करते हैं?  अभिभावक को शिक्षको से यह भी सीखना चाहिए कि किस तरह टीचर बच्चों को अनुशासन में ढालते हैं।

यह सब सवाल अभिभावकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं जिससे अभिभावक घर पर भी इसी तरह बच्चों के मूड स्विंग्स को हैंडल कर सकते हैं और उन्हें अनुशासन में रख सकते हैं। जिससे बच्चे स्कूल में ऑफ ट्रैक नहीं जाते और टीचर तथा अभिभावकों के साथ सम्मान से पेश आते हैं।

JEECUP 2024 2nd Round Seat Allotment जानें विकल्प भरने से लेकर लिस्ट देखने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया

SSC GD 2nd Merit List 2024: सेकंड मेरिट लिस्ट भी हुआ जारी, कम नंबर वाले छात्र हुए पास

चैलेंजिंग सिचुएशन में बच्चा क्या करता है ?

आमतौर पर टीचर्स के सामने और अभिभावकों को सामने बच्चों का बिहेवियर अलग होता है। अभिभावकों के सामने चैलेंजिंग सिचुएशन आने पर बच्चे अभिभावकों के ऊपर पूरी बात का दारोमदार छोड़ देते हैं। वहीं शिक्षक के सामने चैलेंजिंग सिचुएशन आने पर बच्चे खुद सिचुएशन को हल करने की कोशिश करते हैं अथवा टीचर या क्लासमेट से मदद मांगते हैं ।

ऐसे में कई बच्चे चुनौतीपूर्ण सिचुएशन आने पर अभिभावकों को बताते ही नहीं है और सिचुएशन से भागते रहने का तरीका ढूंढते हैं।  इसीलिए अभिभावकों के लिए जरूरी है कि वह टीचर से मिलकर पता करें कि बच्चे किस तरह चैलेंजिंग सिचुएशन को निपटना सीख रहे हैं और घर पर अभिभावकों को किस तरह बच्चों को इसके लिए ट्रेन करना चाहिए।

क्लास में पढ़ते समय बच्चों को कोई परेशानी हो रही है क्या ?

इसके अलावा अभिभावकों को टीचर से मिलकर यह सवाल भी करना चाहिए कि बच्चे पढ़ाई के समय किसी प्रकार की कोई परेशानी का सामना तो नहीं कर रहे । क्योंकि आज कल बदलते दौर में शारीरिक और मानसिक बीमारियां काफी देखी जा रही है जिसमें हाइपर एक्टिविटी, ऑटिज्म जैसी समस्याएं काफी आम हो गई है।

वही लर्निंग डिसेबिलिटी और स्लो लर्नर की परेशानियों को देखते हुए भी अभिभावकों के लिए जरूरी है कि वह इन सभी बातों का ध्यान रखें और शिक्षकों से मिलकर ऐसी परेशानियों की जड़ और उसका हल ढूंढे।

घर में बच्चों की पढ़ाई में किस प्रकार मदद करें ?

बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर जब घर पर वापस आते हैं तो अब यह अभिभावकों की जिम्मेदारी हो जाती है कि वह बच्चों को घर पर पढ़ाएं। ऐसे में पढ़ने के अलग तरीके की वजह से बच्चे कंफ्यूज हो जाते हैं इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वह टीचर से संपर्क करें और पूछें कि घर में वह बच्चों को कैसे पढ़ाएं?

इसके अलावा अभिभावक यदि बच्चों को कोचिंग पर भेज रहे हैं तो भी यह ध्यान रखें कि हर जगह एक ही पैटर्न से बच्चों को पढ़ाया जाए ताकि बच्चों के समझ में हर परेशानी का हल आने लगे।  वहीं क्रिएटिव लर्निंग और एक्टिविटीज बेस लर्निंग से बच्चे कुछ बेहतर सीख पाए इसीलिए अभिभावकों को बच्चों को पढ़ाई में मदद करने के लिए शिक्षक का मार्गदर्शन लेना आवश्यक है।

निष्कर्ष: PTM Tips

इस प्रकार इस वर्ष स्कूल खुलने के बाद नए शैक्षणिक सत्र के अंतर्गत यदि अभिभावक शिक्षकों के साथ मिलकर बच्चों की ग्रोथ पर ध्यान देंगे तो निश्चित ही बच्चों को शिक्षा से जुड़ी विभिन्न परेशानियों से जूझने का मनोबल मिलेगा और बच्चे निश्चित रूप से ही शैक्षणिक क्षेत्र में आगे बढ़ पाएंगे जिसमें अभिभावक और टीचर दोनों को मिलकर ही साथ में काम करना होगा।

FAQ: PTM Tips

पीटीएम का पूर्ण रूप क्या है?

पीटीएम का पूरा नाम “अभिभावक-शिक्षक बैठक” है। इस शब्द को पीटी सम्मेलन या पीटीए मीटिंग भी कहा जाता है, जो शैक्षिक सेटिंग में इसकी अभिन्न भूमिका को दर्शाता है।

पीटीए बैठक का उद्देश्य क्या है?

पीटीए (अभिभावक-शिक्षक संघ) की बैठक अभिभावकों और शैक्षणिक कर्मचारियों के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देती है। यह स्कूल को सहयोग देने और छात्रों की शिक्षा को बढ़ाने के प्रयासों का समन्वय करता है।

अभिभावक-शिक्षक बैठक में आप अपना परिचय कैसे देते हैं?

Warm greeting से अभिवादन के साथ शुरुआत करें, अपना नाम बताएँ, अपनी भूमिका का उल्लेख करें, और उनके बच्चे की शैक्षणिक सफलता के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करें।

aiuweb

Leave a Comment