सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण पर बड़ा फैसला, कहा- OBC आरक्षण की तरह लागू हो Creamy लेयर

Supreme Court Decision on Reservation: 1 अगस्त 2024 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 7 न्यायाधीश ने मिलकर एक ऐतिहासिक फैसले पर अंतिम निर्णय पारित कर दिया है। जानकारी के लिए बता दें सर्वोच्च न्यायालय के 7 न्यायाधीश की टीम ने आखिरकार ओबीसी आरक्षण की तरह ही SC/ST क्रीमी लेयर आरक्षण पर महत्वपूर्ण फैसला (Supreme Court Decision on Reservation) सुना दिया है।

 जी हां ,1999 से लटके हुए इस मामले पर आखिरकार 7  जजों का निर्णय सामनेआ गया है । सर्वोच्च न्यायालय के 7 न्यायाधीश की पीठ में यह माना कि राज्यों को आरक्षण लाभ बेहतर ढंग से आंबटित करवाना चाहिए जिसके अंतर्गत आरक्षण श्रेणियों को उप समूह में विभाजित किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के 7 न्यायाधीशों ने सुनाया फैसला – Supreme Court Decision on Reservation

6-1 के मत से मिली फैसले को सहमति

भारत के सुप्रीम कोर्ट के इन 7 न्यायाधीशोंने मिलकर इस महत्वपूर्ण फैसले पर अपना निर्णय पारित कर दिया है । भारत के मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ ,न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ,न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी,न्यायमूर्ति पंकज मित्तल ,न्याय मूर्ति सतीश चंद्र शर्मा, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा जैसे 7 जज इस संपूर्ण केस पर सुनवाई कर रहे थे, जिसके अंतर्गत वर्गीकरण के पक्ष में फैसला 6 जजों ने सहमति जताई वहीं न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी इस फैसले के खिलाफ रही परंतु 6-1 के मतों से यह फैसला वर्गीकरण के पक्ष में सुना दिया गया।

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क्या होता है क्रीमी लेयर ?

Creamy Layer and Non Creamy Layer मुख्यतः ओबीसी जनजाति को आर्थिक आधार पर बांटती है। वे सभी परिवार जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपए से अधिक है उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण नहीं दिया जाता यही वर्ग Creamy Layer में समाविष्ट होते हैं ।

Creamy Layer अर्थात जाति का वह तबका जिसके पास में सारी आर्थिक सुविधाएं हैं। वर्तमान में  OBC के अंतर्गत Creamy Layer के आधार पर बंटवारा किया जाता है जिसमें वर्तमान में Creamy Layer की सीमा ₹800000 निर्धारित की गई है । हालांकि जब 1993 में Creamy Layer का बंटवारा शुरू किया गया था तब एक लाख की आय वालों को इस Creamy Layer में शामिल किया जाता था। जानकारी के लिए बता दे सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण निर्धारित किया गया है परंतु वे सभी ओबीसी परिवार जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 8लाख रुपए से अधिक है उन्हें इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता।

SC ST creamy layer का मुद्दा क्या है?

 वे सभी पाठक जो सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इस केस से अनभिज्ञ हैं उनकी जानकारी के लिए बता दे कि एससी एसटी के लिए भी ओबीसी की तरह क्रीमी लेयर बनाने की मांग छेड़ी गई थी जिसमें हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने SC ST वर्ग के लिए भी creamy layer का बंटवारा अनिवार्य कर दिया है। 

अर्थात वे सभी अनुसूचित जाति /जनजाति के नागरिक जिन की आर्थिक अवस्था बेहतर है उन्हें अब आरक्षण का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा।  काफी लंबे समय से निलंबित इस मामले पर आखिरकार फैसला सामने आ गया है जिसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों ने इस मामले पर  अलग-अलग तर्क दिए जिससे इस फैसले पर पहुंचना आसान हो  गया।

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सुप्रीम कोर्ट के जज ने SC / ST Creamy Layer के बारे में क्या कहा ?

SC / ST Creamy Layer के बारे में सुप्रीम कोर्ट के जज बी गवइ का कहना है कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने का काम करना चाहिए ताकि संविधान के अंतर्गत वास्तविक सामान्य जरूरतमंद नागरिक को उपलब्ध कराई जा सके।  जिस व्यक्ति को पहले से ही आरक्षण का लाभ मिल चुका है उसके बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं देना चाहिए।

इसी तर्क को सहमति देते हुए न्याय मूर्ति पंकज मित्तल ने तर्क दिया कि आरक्षण केवल पहली पीढ़ी तक ही सीमित होना चाहिए। एक बार पहली पीढ़ी को जब आरक्षण मिल जाता है और उसे परिवार का व्यक्ति जब उच्च दर्जा प्राप्त कर लेता है तो परिवार के अन्य परिवार जनों को इस आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए ।

वहीं न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने एससी-एसटी की समुदायों के भीतर क्रिमी लेयर पहचान करने के लिए संवैधानिक अधिशेष बनाने पर जोर देने की बात कही है ताकि आरक्षण जरूरतमंद व्यक्ति को मिल सके । इस संपूर्ण फैसले के अंतर्गत सभी जजों का यह कहना था कि आरक्षण प्रणाली जारी रहनी चाहिए लेकिन अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग के असली वंचित लोगों को इस आरक्षण प्रणाली से सहायता मिलनी चाहिए ।

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निष्कर्ष: Supreme Court Decision on Reservation

कुल मिलाकर इस संपूर्ण मामले में सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों में से 6 जज इस फैसले से सहमत थे कि एससी एसटी के अंतर्गत केवल कुछ ही श्रेणी के लोग आरक्षण का आनंद ले रहे हैं। ऐसे में एससी एसटी के अंतर्गत भी ऐसी ढेर सारी श्रेणियां है जो अभी तक उत्पीड़न का सामना कर रही है ।

इस पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत अब कुछ ऐसे पैरामीटर बनाने जरूरी है जिससे अनुसूचित जाति /जनजाति में भी संपन्न वर्ग की अलग श्रेणी बनाई जा सके और आर्थिक अवस्था के आधार पर इन्हें आरक्षण उपलब्ध कराया जा सके जिससे समाज के ज्यादा उत्पीड़ित वर्ग को उसका हक मिल सकेगा।  वहीं एससी एसटी के अंतर्गत creamy layer के माध्यम से वर्गीकरण होने पर आर्थिक रूप से संपन्न को आरक्षण से बाहर किया जा सकेगा।

aiuweb

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